जिन उद्देश्यों के लिए संस्थान की स्थापना की गई थी, वह रा.वि.प्र.सं. के समझौता ज्ञापन के खंड 4 (अ) में प्रलेखित हैं तथा जो निम्न प्रकार से हैं:
- संस्थान के प्रबंधन को स्थापित कर उसके संचालन करने हेतु।
- प्रतिभागी सेवाओं के श्रेणी ‘अ’ के अधिकारियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा का निरंतर आयोजन कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना साथ ही वरिष्ठ एवं मध्यम स्तर के अधिकारियों के लिए पुनश्चर्या कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में संस्थान को ‘उत्कृष्टता के केंद्र’ के रूप में स्थापित करने के लिए व्यावसायिक क्षमता एवं अभ्यास के उच्चतम मानकों को बढ़ावा देना।
- लेखाशास्त्र, लेखा परीक्षा, वित्तीय एवं राजकोषीय प्रबंधन एवं संबन्धित विषयों के क्षेत्र में शोध अध्ययनों को शुरू करने एवं बढ़ावा देने के लिए।
- केंद्र एवं राज्य सरकारों की सह-सेवाओं एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों /संस्थानों के अधिकारियों के लिए वित्तीय एवं राजकोषीय प्रबंधन की शिक्षा को बढ़ावा देना।
- वित्त एवं लेखा के क्षेत्र में मुख्य रूप से केन्द्रीय एवं सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन कर उसकी प्रगति को पूरे विश्व में बनाए रखना।